English Version
Service Transfer order in the Grade of Inspector/TA issued (See in transfer & Posting) >> Standing Order No. 01/2017 dtd. 02.02.2017 (See in Departmental Officer) >> 3rd Meeting of the Regional Advisory Committee (RAC) to be held on 26.12.2016 (see in RAC meeting -CCO) >> Implementation of Aadhar enabled Biometric Attendance System (see in Departmental Officer tab) >> Observance of Vigilance Week - 2016 (see link in Public Notice) >> Note on concept and status & PowerPoint presentation on GST (see in Public notice) >> posts of Inspectors on deputation basis in the Directorate General of Safeguards, New Delhi (see in Deputation ) >> Centralised Databank of Govt. Land (see in public Notice) >>
नियंत्रण कक्ष : 0755 - 2553401, 2551771, 2551779, 2557804
भोपाल शहर का परिचय
भोपाल मघ्यप्रदेश राज्य की राजधानी है। यह प्राचीन ऐतिहासिक शहर एवं आधुनिक नगरीय योजना का सुन्दर समिश्रण है, जिसकी प्राकृतिक सुषमा सबका मन माह लेती है। 11वीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा स्थापित यह शहर पहले भोजपाल के नाम से जाना जाता था, लेकिन वर्तमान शहर अफगान सैनिक दोस्त मोहम्मद 1707-1740, जो औरंगजेब का एक सेनापति था, द्वारा स्थापित किया गया।
इस शहर की दो प्रमुख झीलें, बडी झील एंव छोटी झील है, जो इसके नाभिक क्षेत्र में स्थित है। भोपाल के विकास में इन झीलों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भोपाल आज बहुपक्षीय पार्श्वचित्र प्रस्तुत करता है। पुराने भोपाल के बाजारों, सुन्दर कलात्मक मस्जितों, एवं प्रासादों में पुराने शाशको की अभिजाततंत्रीय छाया दिखायी देती है। उन शाशकों की परंपरा में शक्तिशाली बेगम आती है, जिन्होने भोपाल पर 1819 से 1926 तक शाशन किया था।
नये भोपाल के हरे-भरें सुन्दरता से सजें हुए पार्को, आधुनिक भवनों, सीधी सपाट और चौडी सडकों का अलग सौन्दर्य एवं आर्कषण है, जो चित्र को समान रूप में प्रभावित करते है।
ताजुल मस्जिद देंश की सबसे बडी मस्जिद है। इस मंदीर का निर्माण कार्य शाहजहाँ बेगम 1868-1901 द्वारा शुरू किया गया एवं इसे 1971 के बाद पूर्ण किया गया। अन्तर मेहराब काले छत के साथ मुख्य हाल, मस्जिद का चौडा अग्रभाग, विस्तृत प्रांगण एवं संगमरमर का चिकना फर्श इस मस्जिद की सबसें अधिक प्रभाव डालने वाली विशेषताएं है।
भारत भवन दैनिक, सोमवार को छोडकर भारत के सबसें अद्वितीय राष्ट्रीय संस्थानों में से एक है। यह बहुकला केन्द्र हैं। इसकी स्थापत्य रचना विश्वविख्यात वास्तुशिल्पी चार्ल्स कोरियॉ ने की है। भारत भवन में कला संग्रहालय, कला दीर्घा, ललित कलाओं की कार्यशाला, रेपरटरी थियेटर, इनडोर एवं आउटडोर सभामंडप, पूर्वाभ्यास कक्ष, भारतीय काव्य, शास्त्रीय एवं लोक संगीत के पुस्तकालय है।
श्यामला हिल्स में अवास्थित मानव संग्रहालय खुली हवा में जनजातीय आवास संकुल प्रर्दशनी है। यह प्रर्दशनी वास्तुशिल्पीय विशेषताओं पर प्रकाश डालती है तथा अन्तस्थ प्रदर्शित है। मानव संग्रहालय के अडोस-पडोस का पुनर्निमाण कुछ इस ढंग से किया गया है जिससे वे जनजातीय गॉवों की कुछ दिलचस्प वातावरणिक विशेषताओं सें मेल खाये। आप इसके नजदीक स्थित चिडियाखाना का भ्रमण कर सकते है। पुराने भोपाल के चौक पर अवास्थित पुराना बाजार एवं नये भोपाल का न्यूमार्केट में भोपाल के दो मुख्य बाजार है। भोपाल के जरी से बने कंघे से झूलने वाले बैग विशेष प्रसिध्द है।
बौध्दो का शहर साँची भोपाल से लगभग 45 कि.मी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित हैं सन 1818 में इस शहर की खोज संयोग से एक ब्रिटीश सैन्य अधिकारी द्वारा होने के बाद सन 1919 में यह पुन: प्रतिष्ठित हुआ। तबसे यह संसार में बौध्दों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बना हुआ है। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के दौरान अशोंक द्वारा बनवाएं गए सॉची के महान स्तूप के चारों तरफ मंदीरों के भग्नावशेष एवं मठ है। आप ईसा पूर्व दूसरी-तीसरी सदी के क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडे शहर विदिशा का भ्रमण कर सकते है, जो सॉची से लगभग 10 कि.मी. दूर स्थित है।
Home About Us Support news faq download Utility Home About Us Org. Chart Notfn Trade notice contact